जीवन अनमोल है - इसका सम्मान करो!

लेखक: Brrijesh upadhyay (page 3 of 3)

कुछ लोग मुझे हसमुख व्यक्तित्व का मालिक कहते हैं, तो कुछ लोगों के अनुसार मैं हमेशा चिंतित मुद्रा में रहता हूँ। मैं खुली विचारधारा का व्यक्ति हूँ, इसलिए किताबों के विषय में मेरा क्षितिज विस्तृत है। बाकी आप तो खुद समझदार हैं।

Relation Management: हम आपस में क्यों लड़ते-झगड़ते हैं? जानिए अपना व्यक्तित्व

Relation ManagementWhy we Fight with each other?

यदि गलत जगह पर गुरु वृहस्पति भी सही बात करें तो गलत हो जाता है. उसी तरह स्थान और समय देखकर चाइल्ड, एडल्ट या पैरेंट भाव का सही इस्तेमाल करें.

हम एक दूसरे से छोटी – छोटी बातों में झगड़ते रहते हैं. कभी- कभी तो हमें ये भी नहीं पता होता कि हम किस बात पर लड़ रहे हैं और इसकी सुरुआत किसने की.  और पढ़ें ....

Natural Life: जानते हैं प्रकृति हमें क्या सिखाती है? यह आत्मचिंतन का विषय है

Natural Life – Nature’s Law of Vacuum

हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही हमारा शरीर दिमाग से सकारात्मक एवं नकारात्मक सिग्नल प्राप्त करता है. जहाँ सकारात्मक उर्जा हमें कार्यान्वित करती है वहीं नकारात्मक उर्जा हमें कर्महीन तथा उदासीन बनाती है. और पढ़ें ....

Procrastination Quotes in Bhagvadgita-श्लोक जो आपकी ज़िन्दगी बदल सकता है

Procrastination Quotes in Bhagvadgita

न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोSश्र्नुते
न च सन्न्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति

ना तो कर्म से विमुख होकर कोई कर्मफल से छुटकारा पा सकता है और न केवल संन्यास से सिद्धि प्राप्त की जा सकती है. और पढ़ें ....

Eat Healthy: सफलता के लिए ऐसा करना आवश्यक है

Eat Healthy Stay Healthy

हमारे पूर्वज एक दिन के खाने के लिए दिन भर मेहनत करते थे. फिर भी, पुरे परिवार के लिए प्रचूर सामग्री नहीं जुटा पाते थे.

यह कहना अनुचित नहीं होगा की हम तब तक खाते रहते हैं, जब तक हमें संतुष्टि नहीं मिलती. हमें संतुष्टि की अनुभूति तब होती है, जब खाद्य पदार्थ अत्यन रुचिकर हो और हम पेट भरकर  खा सकें. यदि हमारा मनपसंद भोजन हो, हमें भूख लग जाती है. यह मानसिक असंतुलन का नतीजा है. हमें आवश्यकता अनुसार ही खाना चाहिए मगर सवाल उठता हैं, कितनी आवश्यकता हैं? और पढ़ें ....

Spirituality: धार्मिक होने के फायदे हैं या नुकसान? क्या नास्तिक विचारधारा सही है?

Spirituality

हमारे कई अनसुलझे सवालों का एक ही जवाब है. कुछ तो है जो सारी होनी और अनहोनी का परम कारण है और वह है सर्वशक्तिमान ईश्वर. अपनी अपनी भाषाओं के आधार पर लोगों ने उसे नाम दिया और भौगोलिक साधनों के आधार पर नाना प्रकार के रीति रिवाज बनाये गए. और पढ़ें ....

Disclaimer
© Sanatan Science | All rights reserved

Sanatan Science