जीवन अनमोल है - इसका सम्मान करो!

श्रेणी: आत्मचिंतन (page 2 of 2)

Inspiration:

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥

यह एक कड़वी सच्चाई है – हम अपनी असफ़लता का कारण किसी और को मानते हैं. जिस दिन अपने अन्दर झांकना प्रारंभ कर देंगे, आपकी दुनिया बदलती प्रतीत होगी . आप अपने आपबीती के एक हद तक जिम्मेदार हैं.

हमारी असफ़लता का सबसे बड़ा कारण ये है की हम अपने लिए समय नहीं देते.

जिस प्रकार शरीर के पोषण हेतु भोजन की आवश्यकता पड़ती है; ठीक उसी तरह दिमाग को स्वास्थ्य रखने हेतु हमें अच्छी किताबें पढनी चाहिए.

अच्छा सोंचना चाहिए, तथा अच्चा व्यवहार करना चाहिए.

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Anger Management-जानिए 3 प्रकार की क्रोध भड़काने वाली परिस्थितियों से कैसे बचें

Anger Management

क्रोध में धैर्य का एक मिनट आपको सौ दिनों के दुःख से बचा सकता है.

चाहकर भी क्रोध से नहीं बचा जा सकता. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने विवेकशील हैं, आप कुछ इस प्रकार की अप्रत्याशित स्थिति में पड़ सकते हैं जो आपको आवेशपूर्ण व्यवहार करने के लिए मजबूर कर देता है. गुस्सा भी एक प्रकार का आवेश है. आप अपने दिमाग और शरीर पर नियंत्रण खो देते हैं. और पढ़ें ....

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Rape Statistics in India is really painful:कैसे कम होंगी रेप की घटनाएँ? जानिए…

Rape Statistics in India is really painful: How to stop it?

जब हमारे देश से बेरोज़गारी, नशाखोरी, और अनुशासनहीनता ख़तम होगी; लोग अपने सांस्कृतिक तथा पारिवारिक मूल्यों को पहचानेंगें. जब सब मिलकर अपनी अपनी जिम्मेदारियां निभायेंगें; तब ख़तम होगी बलात्कार (Rape) की घटनाएँ और आएगी सही मायने में आज़ादी.  और पढ़ें ....

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Vedic Quotes: 5 सनातन सूत्र और आधुनिक जीवन में उपयोगिता

Vedic Quotes

प्रथमेनार्जिता विद्या द्वितीयेनार्जितं धनं।
तृतीयेनार्जितः कीर्तिः चतुर्थे किं करिष्यति।।

जिसने प्रथम अर्थात ब्रह्मचर्य आश्रम में विद्या अर्जित नहीं की, द्वितीय अर्थात गृहस्थ आश्रम में धन अर्जित नहीं किया, तृतीय अर्थात वानप्रस्थ आश्रम में कीर्ति अर्जित नहीं की, वह चतुर्थ अर्थात संन्यास आश्रम में क्या करेगा?

व्यवहारिक जीवन में इसका महत्व 

इस श्लोक के माध्यम से समझाया जा रहा है की यदि समय रहते आपने अपने जीवन के महत्वपूर्ण कार्य संपन्न नहीं किये, तो वृद्धावस्था में आपसे कुछ नहीं होगा. 

यह नीतिगत श्लोक हम अपने जीवन पर घटित होते देखते हैं, परन्तु यह हर वर्ष, हर महीने, हर दिन एवं हर घंटे हमारे जीवन में घटित होता है और हम इसके महत्व को नकार देते हैं. यदि वर्ष के महत्वपूर्ण व् उपजाऊ समय हमने खो दिए, तो वर्षा ऋतु अत्यंत दुखदाई होता है. आधुनिक जीवन में यदि महीने के 3 हफ्ते हमने सेल्स टारगेट हासिल नहीं किया, तो निश्चय ही महीने के अंत में परिणाम भुगतने पड़ेंगे. 

इतना ही नहीं, सुबह की साधना, तत्पश्चात जीवन-यापन हेतु किये गए कार्य संपन्न नहीं हुए तो सायं काल का पारिवारिक सुख और रात्रि की निद्रा दोनों ही अप्राप्य होंगे. यह जरुरी नहीं की आपने जीवन कैसा जिया; जरुरी है की अब तो गल्तियां न दोहराएँ. उपर्युक्त श्लोक के आधार पर जीवन संपन्न न हुआ न सही; अपना दिन तो संपन्न करें. 

यथा द्यौश्च पृथ्वी च न बिभीतो न रिष्यतः। 
एवा मे प्राण मा विभेः।।       - अथर्ववेद

जिस प्रकार आकाश एवं पृथ्वी न भयग्रस्त होते हैं और न इनका नाश होता है, उसी प्रकार हे मेरे प्राण! तुम भी भयमुक्त रहो.

अन्यथा न लें…

आपको हर बुरे कार्यों का परिणाम सोंच लेना चाहिए. उपर्युक्त श्लोक सद्कर्मों के निष्पादन हेतु लिखा गया है. हर व्यक्ति जिससे आप व्यवहार रखते हैं वह आपकी ही भांति एक मनुष्य है और आपके ही जैसा उसमें भी अच्छाईयां और बुराइयाँ दोनों है. आप जैसा व्यवहार करेंगे वैसा परिणाम भी हासिल होगा. 

आप निःसंकोच अपनी परिकल्पनाओं को मूर्तरूप दें. हर प्रकार का भय त्यागकर लोगों से मिलें और जीवन के हर पड़ाव पर विजय पताका लहराएँ. 

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपु:।  नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।। और पढ़ें ....

Relation Management: हम आपस में क्यों लड़ते-झगड़ते हैं? जानिए अपना व्यक्तित्व

Relation ManagementWhy we Fight with each other?

यदि गलत जगह पर गुरु वृहस्पति भी सही बात करें तो गलत हो जाता है. उसी तरह स्थान और समय देखकर चाइल्ड, एडल्ट या पैरेंट भाव का सही इस्तेमाल करें.

हम एक दूसरे से छोटी – छोटी बातों में झगड़ते रहते हैं. कभी- कभी तो हमें ये भी नहीं पता होता कि हम किस बात पर लड़ रहे हैं और इसकी सुरुआत किसने की.  और पढ़ें ....

Natural Life: जानते हैं प्रकृति हमें क्या सिखाती है? यह आत्मचिंतन का विषय है

Natural Life – Nature’s Law of Vacuum

हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही हमारा शरीर दिमाग से सकारात्मक एवं नकारात्मक सिग्नल प्राप्त करता है. जहाँ सकारात्मक उर्जा हमें कार्यान्वित करती है वहीं नकारात्मक उर्जा हमें कर्महीन तथा उदासीन बनाती है. और पढ़ें ....

Eat Healthy: सफलता के लिए ऐसा करना आवश्यक है

Eat Healthy Stay Healthy

हमारे पूर्वज एक दिन के खाने के लिए दिन भर मेहनत करते थे. फिर भी, पुरे परिवार के लिए प्रचूर सामग्री नहीं जुटा पाते थे.

यह कहना अनुचित नहीं होगा की हम तब तक खाते रहते हैं, जब तक हमें संतुष्टि नहीं मिलती. हमें संतुष्टि की अनुभूति तब होती है, जब खाद्य पदार्थ अत्यन रुचिकर हो और हम पेट भरकर  खा सकें. यदि हमारा मनपसंद भोजन हो, हमें भूख लग जाती है. यह मानसिक असंतुलन का नतीजा है. हमें आवश्यकता अनुसार ही खाना चाहिए मगर सवाल उठता हैं, कितनी आवश्यकता हैं? और पढ़ें ....

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