COMMUNICATION SKILL BOOK SUMMARY

एक बेहतर कम्युनिकेशन में प्रॉपर कंटेंट के अलावा इमोशन, बॉडी लैंग्वेज तथा उसको कहने का तरीका प्रभावशाली समझा जाता है। कम्युनिकेशन कोई टेक्निक नहीं है। यह आपके सोचने का तरीका है। मतलब आपका दुनिया के प्रति एटीट्यूड ही Communication Skill को प्रभावी बनाता है। एटीट्यूड में बदलाव आपके अंदर बड़ा परिवर्तन ला सकता है। 

कहते हैं Speech is silver but silence is gold, लेकिन मुझे लगता है यदि आपको अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में मुश्किल होती है तो आप तरक्की नहीं कर सकते। यह कड़वा है मगर सच है।

केवल Effective Communication Skill ही एक ऐसी कला है जिसकी जरूरत आपको कदम कदम पर पड़ती है, चाहे आप सर्विस करते हैं या बिजनेस बिना कम्युनिकेशन कुछ संभव नहीं। यदि आप सेल्समैन हैं और अपने प्रोडक्ट के बारे में लोगों को नहीं समझा सकते तो प्रोडक्ट नहीं बिकेगा। यदि आप बेचना नहीं जानते तो आप किसी भी प्रकार का व्यापार नहीं कर सकते। Communication Skill की उपयोगिता से कोई इनकार नहीं कर सकता। तो आइए जानते हैं क्या है Effective Communication Skill?

Communication Skill दो प्रकार का होता है

  1. Verbal Communication
  2. Non-verbal Communication

Verbal Communication के दो प्रकार हैं। पहला Oral और दूसरा Written. हम यहां Oral Communication के बारे में बात करेंगे। 

यह लेख Communication Skill Training Book पर आधारित है जिसे लिखा है इयान तोहोव्स्की ने। ऑथर कहते हैं खुद से यह सवाल करना चाहिए कि मैं और बेहतर, और कुशलता पूर्वक, कुछ अलग और प्रभावी ढंग से क्या कर सकता हूं? बेहतरीन कम्युनिकेशन का पहला कदम है अवेयरनेस। आपको अपनी कमजोरियों और मजबूरियों के बारे में अवेयरनेस होनी चाहिए। आपको पता होना चाहिए कि क्या Improve करना है और लोगों को क्या दिखाना है? 

आपकी कम्युनिकेशन को आपके सिवा कोई नहीं सुधार सकता, इसलिए आपको अपनी कम्युनिकेशन पर ध्यान देना होता है और उसे Analyze करना पड़ता है। 

हमारे कम्युनिकेशन में 7% कंटेंट + 38% उसे बोलने का तरीका इमोशन इत्यादि, और 55% body language अर्थात Non-verbal Communication का बड़ा योगदान होता है।

आप एक सिंपल तरीके से इस बात को समझ सकते हैं। यदि व्हाट्सएप पर चैटिंग करते समय इमोटिकॉन नहीं डालते, तो कभी-कभी सामने वाला अपने हिसाब से कुछ अलग ही मीनिंग निकाल लेता है। इसका मतलब कंटेंट आपका मैसेज नहीं पहुंचा पाया, जिसका हिस्सा केवल 7% है। जबकि एक छोटा सा इमोटिकॉन आप का 38 परसेंट काम कर जाता है, क्योंकि उसमें भावनाएं प्रदर्शित होती है, और यह मैसेज बचाने का तरीका बदल देता है। सामने वाला वही समझता है जो आप कहना चाहते हैं। यदि यह बात फेस टू फेस हो तो उसमें भावनाएं, बोलने का टोन और तमाम तरह के एक्सप्रेशन कम्युनिकेशन को अधिक एक्टिव बना देते हैं। 

एक बेहतर कम्युनिकेशन में प्रॉपर कंटेंट के अलावा इमोशन, बॉडी लैंग्वेज तथा उसको कहने का तरीका प्रभावशाली समझा जाता है। कम्युनिकेशन कोई टेक्निक नहीं है। यह आपके सोचने का तरीका है। मतलब आपका दुनिया के प्रति एटीट्यूड ही Communication Skill को प्रभावी बनाता है। एटीट्यूड में बदलाव आपके अंदर बड़ा परिवर्तन ला सकता है। 

Everybody has a different map of the world 

यह कोई मायने नहीं रखता कि दुनिया कैसी है। हर व्यक्ति अपने सेंस, समाज, कल्चर और वातावरण के आधार पर इंफॉर्मेशन को फिल्टर करता है। यदि आप सही हैं, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि सामने वाला गलत है। सब लोग अपनी अपनी यूनिक रियालिटी जी रहे हैं। आपको यह समझने की आवश्यकता है कि आप केवल खुद का फिल्टर बदलकर, अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। 

ग्रेविटी, साउंड वेव, इंफ्रारेड, वाईफाई इत्यादि हम अपनी आंखों से नहीं देख सकते परंतु तथ्यों के आधार पर समझ सकते हैं। आपका दुनिया को देखने का तरीका हो सकता है सारी दुनिया से अलग हो। यदि आप सोचते हैं कि सारी दुनिया झूठी है तो आपका व्यवहार भी उसी तरीके का होगा जबकि पॉजिटिव एटीट्यूड से आपके सोचने का ही नहीं बल्कि व्यवहार करने का तरीका भी बदल जाएगा।

सब लोग अपने अपने तरीके से सही है। उदाहरण के तौर पर यदि अपने बचपन में, आपने ढेर सारे कॉमिक्स पड़े हैं तो उसे देखकर आप इमोशनल हो जाते हैं; जबकि वहीं कॉमिक्स दूसरों के लिए रद्दी पेपर से अधिक कुछ भी नही। एक और उदाहरण देखिए यदि किसी वजह से फ्लाइट कैंसिल हो जाए तो कोई उदास हो जाता है, कोई झगड़ा करने पर उतर जाता है, तो कोई बुरी तरह फ्रस्ट्रेटेड हो जाता है। उन्हीं में कुछ ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जो खुशी से झूम उठेंगे, क्योंकि उन्हें एक और दिन उस शहर में रहने का मौका मिल गया है। 

There are positive intentions behind every human behaviour 

देखा जाए तो हर व्यक्ति के व्यवहार में कोई न कोई अच्छी सोच होती है। जब हम कोई ऐसा कार्य करते हैं जिसे हम बिल्कुल नहीं करना चाहते तो उसको भी करने की कोई मजबूत वजह होती है। हम अपने ज्ञान के आधार पर बेहतर से बेहतर कार्य करते हैं परंतु यदि सामने वाला व्यक्ति आपके साथ गलत व्यवहार करता है तो निश्चय ही कुछ प्रॉब्लम है। 

हम प्यार बांटने के लिए प्रोग्राम्ड हैं, अर्थात यदि कोई किसी से नफरत करता है तो यह प्राकृतिक नहीं है। हो सकता है वह व्यक्ति किसी समस्या से जूझ रहा हो। और उसे इस समस्या से निकलने का तरीका नहीं मालूम। 

जब आपका पर्सपेक्टिव बदलता है तो आपका उसके प्रति व्यवहार बदल जाता है। रिश्ते संभालने का सबसे बेहतरीन तरीका है कि सामने वाले की स्थिति को समझा जाए। 

It is possible not to communicate

आप जो भी व्यवहार करते हैं या प्रदर्शित करते हैं, यह आपके कम्युनिकेशन का तरीका है। आप सामने वाले से नॉन वर्बली कम्युनिकेट करते हैं। जिसका सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव हो सकते हैं। 

सामने वाला आपको सही समझता है या गलत इसके जिम्मेदार केवल आप हैं। इफेक्टिव कम्युनिकेशन का मात्र एक तरीका है कि आप सबसे पहले सामने वाले को समझें। उसके लिए आपको खुद से 8 सवाल करना चाहिए 

1- क्या मैं जो कह रहा हूं सामने वाला समझ सकता है ? 

यदि आप किसी को कोई बात भूलने के लिए कहें तो वह नहीं भूल सकता। इसलिए वर्बली जो भी बातें कहीं जाए, सामने वाले को ध्यान में रखकर उसके समझने योग्य बातें कहीं जाए। 

2 – जो आप कह रहे हैं क्या उसका तरीका सही है? 

यदि आप अपने बच्चे को कहते हैं Behave yourself, तो शायद आपको वह सही तरीके से नहीं समझेगा। परंतु यदि कहते हैं, खिलौने अलमारी में रखो या अपनी आवाज नीचे करके बात करो तो उसे आसानी से समझ में आ जाएगा कि आप क्या कहना चाहते हैं? 

3 –  क्या जो आप कहना चाहते हैं वहां सकारात्मक है? 

जब आप किसी को कहेंगे कि मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता तो वास्तव में आप उसे परेशान करना चाहते हैं। इसलिए आप के बात करने का तरीका सकारात्मक होना चाहिए। 

4 – आप सामने वाले से बात कर रहे हैं या खुद से? 

जब आप किसी को बार-बार कहते हैं कि आप समझ रहे हैं? या मैं आपसे बात कर रहा हूं। या तुम मुझे महसूस कर रहे हो ना? तो वास्तव में आप सामने वाले पर खुद को थोपना चाहते हो, और यह लगभग नामुमकिन है। क्योंकि हर व्यक्ति का सोचने का तरीका अलग होता है। 

5 – जो आप कह रहे हैं वह माइंड रीडिंग है या आप तथ्यों के आधार पर बोल रहे हैं? 

यदि आप सामने वाले को पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं तो यह बिल्कुल मुमकिन नहीं। वास्तव में किसी को देखकर उसके वास्तविक स्थिति का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। हमेशा तथ्यों पर बात करें माइंड रीड करने की कोशिश न करें।

6 – क्या आप अपने मन की बात करते हैं या सामने वाले पर हमला करते हैं? 

जब आप अपने पार्टनर से कहते हैं कि आप मुझे प्यार नहीं करते तो सामने वाला जरूर कहेगा कि यह सच नहीं। और फिर आपके अंदर तमाम निगेशन शुरू हो जाते हैं जो अंततः झगड़े का कारण बनता है। अतः आपको अपनी फीलिंग बतानी चाहिए ना कि बेवजह के सवाल पूछ कर तथा तर्क कुतर्क करके, एनर्जी नष्ट करनी चाहिए। 

7 – जो आप कहते हैं वह व्यक्ति के बारे में होता है या उसके व्यवहार के बारे में? 

यदि आप सामने वाले को कहते हैं कि आप स्टूपिड हैं तो शायद वह आपको पूरी तरह नहीं समझ पाए; मगर यदि आप कहते हैं कि नेक्स्ट टाइम जब क्लाइंट से बात करना तो उसे और अच्छी तरह से समझने की कोशिश करना इससे आप उनको बेहतर सोलुशन दे पाएंगे। यदि आप कहते हैं कि आप तो काफी इंटेलिजेंट हैं तो आप सामने वाले के दिमाग में सही तस्वीर नहीं बना पाएंगे; मगर जवाब कहते हैं कि कल जब आपने उस किताब के बारे में ऐसा कहा तो मेरे अंदर उसे पढ़ने का मोटिवेशन जगा दिया। तो शायद उसे अपने इंटेलिजेंट होने का सही कारण पता चले। इसलिए व्यक्ति के बारे में बात करने की बजाय उसके व्यवहार के बारे में बात करनी चाहिए। 

8 – क्या आप जो कह रहे हैं उसका कोई छुपा हुआ मतलब है?

जब आप अपने पार्टनर से कहते हैं क्या तुम्हें कुछ और नहीं मिला पहनने के लिए जो सुंदर हो? इसका मतलब यह साफ है, आप कहना चाहते हैं कि आप सुंदर नहीं दिख रहे हैं। तो आठवाँ तरीका यह कहता है कि जब आप किसी से बात करें, तो आप वह कहें जो कहना चाहते हैं। आप डायरेक्टली कह सकते हैं कि यह ड्रेस ठीक नहीं है कुछ और पढ़ लो। 

आपको कुछ और प्रयोग करना चाहिए 

जहाँ आवश्यक हो खुलकर हँसें।

-चेहरे पर मुस्कुराहट रखें। 

-अपनी कमजोरियों को पहचाने और दूर करें। 

-दूसरे के वाक्यों को पूरा करने से बचें।

-फ़िलर वर्ड जैसे humm या you know इत्यादि का प्रयोग न करें। 

-बेवजह सलाह न दें न ही कहें, जब मैं तुम्हारे उम्र का था तो ऐसा करता था। मैं तुम्हारी जगह होता तो ऐसा करता। 

-थोड़ा रुक कर अपनी बात शुरू करें। 

-आवश्यकता पड़ने पर सामने वाले से क्लेरिफिकेशन का डिमांड करें। 

-ज्यादा सुने और कम बोलें। 

वैसे तो इस किताब में बहुत कुछ है। कुछ मिनटों में इसे समेटना मुमकिन नहीं। इसे आप किताब को पढ़े बिना नहीं समझ सकते। तो इस किताब का लिंक नीचे मिल जाएगा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा। तो मिलते हैं अगले लेख के साथ, तब तक के लिए अपना ख्याल रखें और पॉजिटिव सोचें।

और पढ़ें: SELF MOTIVATION – कोई आपको मोटिवेट नहीं कर सकता, आपको स्वयं होना पड़ता है