Life Mantra – 5 Obligations of an Ideal Life

हम सब जोकर हैं. हमें भी जीना यहीं है और मरना भी. हमारे पीछे रह जाती हैं, हमारी उपलब्धियाँ.

आज कल दिमाग में एक गीत गूँज रहा है, “जीना यहाँ, मरना यहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ.” यह गाना फिल्म “मेरा नाम जोकर” में फिल्माया गया था.  फिल्म और गाने सब लोकप्रिय हुए. गाना आज भी लोगों के ज़ुबान पर है. मैं आपका ध्यान परदे के पीछे खींचना चाहता हूँ. तमाशा शुरु होने से पहले शेर सिंह रिंगमास्टर को रोकता है क्योंकि जोकर (राजू) बीमार है और यह करतब उसके लिए जानलेवा हो सकता है. परन्तु रिंगमास्टर कहता है– “शेर सिंह, राजू आदमी नहीं, एक जोकर है. उसे जीना भी यहीं है और मरना भी यही है.”

हम सब जोकर हैं. हमें भी जीना यहीं है और मरना भी. हमारे पीछे रह जाती हैं, हमारी उपलब्धियाँ. हमारी उपलब्धियाँ आखिर हैं क्या? इस दुनिया के प्रति जो हमारा कर्तव्य है, उसके ठीक रूप से निर्वाह के उपरांत जो हमें ख्याति मिलती है, वही सही मायने में हमारी उपलब्धि है और हम इसी के द्वारा याद किये जाते हैं.

इन 5 कर्तव्यों (5 Obligations) का सही पालन ही है आदर्श जीवन….

  • पारिवारिक
  • सामाजिक
  • वैश्विक
  • स्वास्थ्य के प्रति 
  • कर्म के प्रति

पारिवारिक जिम्मेदारियां 

केवल रोटी, कपड़ा और मकान हमारा अथवा हमारे परिवार की मूलभूत आवश्यकता नहीं है. स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कार भी उतना ही आवश्यक है. स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था जहाँ तक बस में है, कर ही लेते हैं परन्तु जब संस्कार की बात आती है लोग चूक जाते हैं. जब तक उन्हें पता चलता हैं कुछ गलत हो रहा हैं, तब तक देर हो चुकी होती है. 

संस्कार क्या है?

संस्कार वह धन है जो हमारा रहन-सहन, समाज के प्रति दृष्टिकोण और व्यवहार को सुनिश्चित करता है. इसके बिना हम पशुओं की श्रेणी में खड़े हो जाते हैं.

बच्चों में कैसे भरे संस्कार?

यह काम जितना मुश्किल दिखता है, उतना है नहीं. हमें लगता है बेहतरीन शिक्षा उन्हें बेहतर संस्कार देती है. ऐसा बिलकुल नहीं है. बच्चे हमारे रहन-सहन और व्यवहारिक जीवन को जीने का प्रयत्न करते हैं. अर्थात हमारा संस्कार ही हमारे बच्चों का संस्कार सुनिश्चित करता है. बच्चों में संस्कार प्रवाहित करने के लिए आप को संस्कारिक होना अति आवश्यक है. ठीक ढंग से  पारिवारिक कर्तव्यों का पालन करने वाला व्यक्ति अच्छी पीढ़ी को जन्म देता है.

सामाजिक कर्तव्य 

हम सामाजिक प्राणी हैं और एक दूसरे के पूरक भी हैं. हमें रिश्ते निभाने होते हैं. समाज को जो कुछ देते हैं वही हमारा वास्तविक किरदार होता है. हम शिक्षा का प्रसार करते हैं और समाज हमें शिक्षक कहता है. दान देने वाला दानी और रोज़गार देने वाला मालिक हो जाता है. इसी तरह चोरी करने वाला चोर भी कहलाता है.

हमारा आदर्श कर्त्तव्य लोगों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करता है. जो भी हम समाज से सीखते हैं और अपने व्यवहार में उपयोग करते हैं, उसे आने वाली पीढ़ी को प्रदान करना हमारी समाजिक ज़िम्मेदारी है. हम इससे विमुख नहीं हो सकते.

वैश्विक ज़िम्मेदारी 

हमें खुद से पूछना चाहिए–क्या ये धरती वैसी ही है जैसी मुझे प्राप्त हुई थी. हमने आने वाली पीढ़ी के लिए क्या किया है?

  • क्या वातावरण पहले से अच्छा है?
  • क्या हमने प्रदूषण कम करने हेतु कुछ किया है?
  • हमने ऐसा क्या किया है जिससे जीवन की समस्याओं में कमीं आये?
  • कोई ऐसा अविष्कार जो कृषि या गृह उद्योगों में उपयोगी हो.
  • अच्छे मकान, बगीचा, सड़कें, चिकित्सालय इत्यादि..

ये सब हमारी वैश्विक जिम्मेदारियां हैं. यदि हम कुछ बड़ा नहीं कर सकते, तो कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगा सकते हैं. वृक्षारोपण से पर्यावरण को जीवनोपयोगी रख सकते हैं. ये नहीं सोचना चाहिए की मेरे अकेले कुछ करने से क्या होता है? सुरुआत तो खुद से ही करनी पड़ती है. 

स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए 

हमारी सबसे बड़ी समस्या है कि हम उपभोक्तावादी हो चुके हैं. हमें बहुत सारी सुविधाएँ सहज रूप से उपलब्ध हैं. हम कुछ करना नहीं चाहते. यह लाइफ स्टाइल हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है. हर चौथा व्यक्ति मोटापा, ह्रदय रोग, मधुमेह और हड्डियों की कमजोरी इत्यादि रोगों से जूझ रहा है. 

पैसों के पीछे भागते समय सबसे ज्यादा उपेक्षा का सिकार स्वयं ही हो जाते है. अस्वस्थ्य शरीर न ही सुविधाओं का आनंद ले सकता है, न ही पर्यावरण का, न तो समाज का और न ही परिवार का. खुद तो दुखी रहता ही है, औरों को भी संकट में डाल  देता है. जीवन भर कमाई हुई पूंजी रोगों के इलाज पर खर्च हो जाती है.

अतः अपने व्यस्त जीवन से एक घंटा निकालकर व्यायाम एवं प्राणायाम करें. सादा जीवन जीने का प्रयत्न करें. स्वास्थ्यवर्धीय भोजन ग्रहण करें. जंक फ़ूड, अल्कोहल और धुम्रपान का परित्याग करें. सारी दुनिया अच्छी है यदि आप शारीरिक एवं मानसिक रूप से सही हैं. अन्यथा सबकुछ व्यर्थ है.

कर्म के प्रति तत्पर रहें

हमारा कर्म से अभिप्राय है, नौकरी अथवा उद्योग जो हम धनार्जन हेतु करते हैं. हम निश्चय ही धनार्जन के लिए नौकरी उद्योग इत्यादि करते हैं, परन्तु केवल धनार्जन ही हमारा मकसद हो तो हम गलत तरीके से भी धन प्राप्ति करने को तत्पर हो जाते हैं. यह गलत है. 

हमें देखना होगा की किसी व्यक्ति विशेष को हमारे इस कार्य का फायदा या नुकसान तो नहीं. लोगों को हमारे व्यवसाय से क्या फायदा हो रहा है इसका ध्यान रखना चाहिए. हम धनार्जन हेतु जो कुछ भी करते हैं उसमें समाज अथवा व्यक्ति विशेष पर सकारात्मक या नकारात्मक असर अवश्य होता है. हमें एक बेहतर दुनिया बनानी है तो दूसरों का हित सामने रखकर ही उद्योग करना चाहिए.

हमारे अच्छे कार्यों से रोज़गार निर्माण होता है. लोगों के घर में दो वक्त की रोटी पहुंचती है. अच्छे यंत्रों से जीवन सहज रखने में मदद मिलती है. सदुपयोगी वस्तुओं का व्यापार करें. अपने कार्यों का समय पर निष्पादन करें. जिससे हमारा जीवन यापन होता है उस कार्य को करने में कोई कोर कसर नहीं होनी चाहिए. 

और अंत में मैं पूछना चाहूँगा, यदि आज का दिन आपका आखिरी दिन हो, और आप अपने अंतर्मन से पूछें– “मैंने भगवान के दिए हुए इस मनुष्य के जीवन में क्या किया?” तो आपको क्या उत्तर मिलेगा? क्या आप इस उत्तर से संतुष्ट हैं? यदि नहीं, तो अपने जीवन के इन 5 कर्तव्यों (5 Obligations) को पूरा करें.

Life Mantra

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