Relation Management – Why we Fight with each other?
यदि गलत जगह पर गुरु वृहस्पति भी सही बात करें तो गलत हो जाता है. उसी तरह स्थान और समय देखकर चाइल्ड, एडल्ट या पैरेंट भाव का सही इस्तेमाल करें.
हम एक दूसरे से छोटी – छोटी बातों में झगड़ते रहते हैं. कभी- कभी तो हमें ये भी नहीं पता होता कि हम किस बात पर लड़ रहे हैं और इसकी सुरुआत किसने की.
पति ने कहा – “ क्या बात है? आज चाय अच्छी बनाई है.
पत्नी- क्यों? इसके पहले अच्छी नहीं बनती थी? तुम कहना क्या चाहते हो?
पति- अरे! मेरे कहने का मतलब वो नहीं था.
पत्नी- तुम क्या कहते हो और क्या सोचते हो सब कुछ पता है मुझे. मेरी कितनी इज्जत है क्या मेरी वैल्यू है सब कुछ पता है.
बेटा- पापा मुझे CA का कोर्स करना है.
पिता-पता है बेटा पैसे कहाँ से आते है? कितनी बार बोला कोई ढंग की नौकरी पकड़ ले, लेकिन तू सारी जिंदगी पढ़ता रह.
एक दोस्त- क्या है राहुल ? बेटा तेरी नज़र किधर है, देख रहा हूँ मैं.
दूसरा दोस्त-ए भाई तू कहना क्या चाहता है? नेक्स्ट टाइम मेरे ऊपर उंगली उठाने से पहले सौ बार सोंच लेना वर्ना मेरे जैसा बुरा कोई नहीं होगा.
ये तो कुछ उदाहरण है. इस तरह की छोटी-छोटी बातें कब झगड़ों में बदल जाती हैं पता ही नहीं चलता. (We don’t know why we Fight with each other)
तो आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है?
हमारा व्यक्तित्व
हमारे अंदर तीन तरह के किरदार पाए जाते है-
- Parent
- Child
- Adult
Parent या माता-पिता का भाव
यदि कोई ज़मीन पर गिर जाए तो हम उसे तुरंत उठाते हैं और मरहम लगते हैं. यह व्यवहार अच्छा होता है परंतु यह भाव अगर आप पर हावी हो जाए तो आप क्या करेंगे.
साइड एफ़ेक्ट
घर में पति को, बच्चों को यहां तक कि माता पिता को भी कहीं जाने से पहले आपकी इतनी नसीहतें होती हैं कि सामने वाला बोर हो जाए. उदाहरण:
- घर में जूते सही जगह पर रखना.
- बाल में तेल नहीं लगाए? बाल कमज़ोर हो जाएंगे.
- हेलो! हां आप पहुंच गए क्या? बस आपकी फिकर हो रही थी.
अगर सामने वाला अधिक प्रक्टिकल है तो आप से कहा सुनी हो सकती है. इसे कहते हैं क्रॉस कनेक्सन.
अन्य व्यक्तित्व के साथ भी ऐसा ही होता है.
चाइल्ड
आप सुबह सो कर उठते हैं और कहते हैं – जाने दो यार आज काम पर नहीं जाना. अगर आपका स्वास्थ्य सही नहीं है तो आपके लिए अच्छा हो सकता है. मगर तब नहीं जब आप ठीक ठाक हैं. जहां Parent दूसरों की रक्षा करना चाहता है वहीं चाइल्ड खुद की रक्षा करना चाहता है. इस पर्सनालिटी की बहुलता जिनमें पाई जाती है, वे अत्यधिक अलसी और उदासीन होते हैं. ये पैरेंट और एडल्ट की इतनी बातें इग्नोर कर देते हैं कि आपस में कहा सुनी संभव है.
एडल्ट या वयस्क
ये स्वभाव से प्रक्टिकल होते हैं. न तो गिरे हुए को पैरेंट की भांति उठाते हैं, न ही चाइल्ड की तरह मज़ाक उड़ाते हैं बल्कि ये उनका हौसला बढ़ाते है. Come on dear, तुम कर सकते हो उठो, देखो तुम्हें चोट लगी है. किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा लो. अगर यह व्यक्तित्व आप के अंदर हावी हो जाए तो आपको मशीन बना देता है. आपके अन्दर की संवेदनशीलता जाती रहती है. आपके अपने यह महसूस करने लगते हैं. आप अपने व्यवहार से लोगों को नीचा दिखा सकते हैं. इनके कुछ उदाहरण देखिये-
- पेट दर्द हो रहा है तो बता देने से ठीक नहीं होगा? पैसे हैं ना, जाओ दवा ले लो.
- पूरे दो हज़ार का शर्ट था आपके बच्चे ने खराब कर दिया. अगर कंट्रोल नहीं कर सकते तो पैदा करने की ज़रूरत ही क्या थी.
- बेटा लास्ट चांस है. अगर इस बार पास नहीं हुआ तो गैराज में तेरी नौकरी पक्की.
- तुम भी कमाल करती हो. में कहूँ तुम अच्छी लग रही हो तो क्या फर्क पड़ता है. जरूरी है दिन में दो बार आई लव यू बोला जाए.
- कितनी बार कहा है अपनी टाई सही जगह पर रखा करो, मगर आप हैं कि सुनते नहीं.
और शुरु होता है क्रॉस कनेक्शन. कहा सुनी और बे सर पैर के झगड़े.
कुछ क्रॉस कनेक्शन
चाइल्ड+पैरेंट = बच्चा उदासीन होता है और पैरेंट गुस्सा करते हैं फिर शांत हो जाते हैं.
चाइल्ड+एडल्ट= ठीक इसी तरह एडल्ट प्रैक्टिकली ज्ञान देता है और कई बार कहने पर न सुने तो उसके हालात पर छोड़ देता है, चाहे मरे या जिए.
चाइल्ड+चाइल्ड= चलो यार पत्ते खेलते हैं काम तो पड़ा ही रहेगा. चल रोज़ तो कॉलेज जाते हैं, आज मूवी चलते हैं.
पैरेंट+पैरेंट= एक दूसरे को नसीहत देते रहते हैं काम कोई नहीं करता.
एडल्ट+एडल्ट= अगर झगड़े हुए तो कोई दूरियां कम नहीं करना चाहता. न किसी के दोस्त न दुश्मन वाले खयालात. पति पत्नी दोनों अगर सेम पर्सनालिटी के हों, तो कभी नहीं बनती और ज्यादातर तलाक के मामले में दोनों में एडल्ट की बहुलता पाई जाती है.
एक लाइन में कहा जाए तो सर्वगुण सम्पन्न वहीं पुरुष या महिला है जो इन सबका एक बैलेंस्ड मिश्रण है और सामने वाले की पर्सनालिटी देखकर उचित व्यवहार करें जिससे क्रॉस कनेक्शन न हो. चाइल्ड के साथ चाइल्ड, एडल्ट के साथ एडल्ट, पैरेंट के साथ पैरेंट रहे परंतु आवश्यकता पड़ने पर कुशलता से चाइल्ड, एडल्ट अथवा पैरेंट में स्विच करना जनता हो.
और अंत में यदि गलत जगह पर गुरु वृहस्पति भी सही बात करें तो गलत हो जाता है. उसी तरह स्थान और समय देखकर चाइल्ड, एडल्ट या पैरेंट भाव का सही इस्तेमाल करें.
(Please Share this article about Relation Management)
Relation Management-Relation Management
और पढ़ें: कैसे बढ़ाएं अपनी कार्यक्षमता? 20% टेक्निक आपको पूरी तरह बदल देगा.
1 Pingback