Self Motivation – you have to be motivated
जब आप जीवन के चौथे चरण में होते हैं और धन – दौलत, यश – कीर्ति इत्यादि से आपका मन विरक्त हो जाता है, तब स्वास्थ्य और अपनों का समय ही आपके लिए सबसे बड़ा ईनाम बन जाता है. इसे प्राप्त करने हेतु आप सब कुछ करना चाहते हैं.
कोई कहता है मुझे चैलेंज स्वीकार करना पसंद है. नित्य कुछ नया करने की इच्छा मुझे मोटिवेट करती है. किसी को दौलत से इतना प्रेम है कि वह दौलत को ही अपना मोटिवेशन मान बैठा है. मान बैठा है, मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि वास्तव में दौलत किसी का मोटिवेशन लंबे समय तक नहीं हो सकता.
अब सवाल उठता है कि क्या मोटिवेशन समय के साथ बदलते रहता है?
मोटिवेशन का विज्ञान कहता है, सबसे बड़ा मोटिवेशन है रिवार्ड अर्थात जब आपको कुछ करने का उचित इनाम मिलता है, तब आप कुछ वैसा ही पुनः करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं.
आवश्यकताओं के अनुसार ईनाम का बदलता रूप
कोई कवि स्वरचित कविताओं पर वाहवाही पसंद करता है, उसे तालियां उत्साहित करती हैं और वह रातों को जाग जागकर कविताएं लिखता रहता है. कलाकारों को उन्हें सराहने वाला चाहिये. परंतु उनकी प्रतिभा जब उन्हें भुखमरी की कगार पर लाकर खड़ा कर दे तो यह वाहवाही उनके लिए मज़ाक से अधिक कुछ नहीं. ऐसी स्थिति में उन्हें दो वक्त की रोटी ही प्रोत्साहित कर सकती है.
जब सब कुछ सामान्य हो जाता है, तो प्रोत्साहित होने के और भी विकल्प उपलब्ध हो जाते हैं. तब अधिक दौलत भी प्रोत्साहित कर सकती है. जब आप जीवन के चौथे चरण में होते हैं और धन – दौलत, यश – कीर्ति इत्यादि से आपका मन विरक्त हो जाता है, तब स्वास्थ्य और अपनों का समय ही आपके लिए सबसे बड़ा ईनाम बन जाता है. इसे प्राप्त करने हेतु आप सब कुछ करना चाहते हैं. परंतु आपके वश में कुछ भी नहीं रहता.
Self Motivation क्या है.
जब हम स्वयं जागरूक होकर, प्रोत्साहित होने का तरीका ढूंढकर, प्रोत्साहित होने में सक्षम होते हैं तो उसे Self Motivation कहते हैं. दूसरे शब्दों में उस तरीके की तलाश करना जो आपको सबसे अधिक प्रोत्साहित करती हो.
वास्तविकता यह है कि आपको कोई या कुछ भी प्रोत्साहित नहीं कर सकता जब तक आप स्वयं उससे प्रोत्साहित होना स्वीकार नहीं कर लेते. उदाहरण के तौर पर, ऐसे हजारों कलाकार मिल जाएंगे जिनके घरों में दो वक्त की रोटी नहीं, फिर भी अपनी कला नहीं बेचना चाहते. कई लोगों को धन-दौलत चाहिए लेकिन वे उससे मोटीवेट होकर कुछ करने की स्थिति में नहीं. यदि आप भी इस उलझन के शिकार हैं तो यह लेख आपके लिए है.
Motivation is only state of mind
जी हाँ! मोटिवेशन मात्र एक मनःस्थिति है और हर व्यक्ति की सोच पर निर्भर करता है. लोग अपने सोच के आधार पर ज्ञानार्जन करते हैं और उस ज्ञान के आधार पर जीविका हेतु प्रयत्नशील रहते हैं. यदि सफल हुए तो उस सफलता का हर आयाम कुछ नया करने हेतु प्रोत्साहित करता रहता है.
सोचने वाली बात है कि लोग कभी कभी गलत मार्ग भी चुनते हैं जो उन्हें लंबे समय तक मोटीवेट नहीं कर पाता. यह इसलिए होता है कि मनुष्य का मन चंचल है तथा चंचलताबस वह सब कुछ हासिल करना चाहता है. वह भी, जिसके योग्य वह नहीं है. इसलिए सबसे पहले योग्यता हासिल करना आवश्यक होता है. किसी रिवार्ड के योग्य बनने के लिए उस क्षेत्र से संबंधित हर संभव ज्ञान प्राप्त करें. आपकी रुचि भी उन्हीं कार्यों में रहती है जिसकी आपको पर्याप्त जानकारी है. निरक्षर व्यक्ति कभी लेखक नहीं बनना चाहेगा. परंतु यदि आप थोड़ा बहुत लिख लेते हैं तो आप अवश्य सफल लेखक बनने का सपना देख सकते हैं. लेकिन लंबे समय तक कुछ लिख पाना संभव तभी होगा जब आप शब्दों का भंडार बढ़ाएंगे. और दिमाग में नए – नए आईडिया आते रहें, इसके लिए अपने प्रेरणास्रोत लेखकों को नियमित रूप से पढ़ते रहेंगे.
समयानुसार मोटिवेशन का मार्ग चुनें
पुरस्कृत होकर मोटिवेट होना या न होना आपके सोच पर निर्भर करता है परंतु पुरस्कार प्राप्त करने का रास्ता आपके निर्णय क्षमता से प्रदिप्त होता है. यदि आप कोई कार्य नहीं करना चाहेंगे तो आपको कोई ईनाम नहीं हासिल होगा. वैज्ञानिकों के मतानुसार No Reward, No Motivation.
अतः Self Motivation हेतु आपको निम्नलिखित बातों पर विचार करना चाहिए…
- आपकी क्या आवश्यकता है?
- आपको क्या चाहये?
- यह सब आपको क्यों चाहये?
- यदि यह सब आपको मिल जाये तो क्या आपके लिए पर्याप्त होगा?
- यदि ये सब आपके पास पहले से होता, तो आप क्या करना पसंद करते?
- क्या उसे आप सुविधाओं के अभाव में भी कर सकते हैं?
- क्या यह तब भी कर सकते हैं जब आपको इसके लिए कोई रिवॉर्ड न मिले?
- आप बिना रिवार्ड के इस कार्य को क्यों करना चाहते हैं?
यदि सारे प्रश्नों के उत्तर आपको मिल गए हों और आप फिर भी वह काम करना चाहते हैं, तो आपका काम ही आपका मोटिवेशन है. आपके दिमाग़ में वह बीज अंकुरित हो गया है जिसे लोग Calling of the life कहते हैं.
यदि आपको सभी सवालों के जवाब नहीं मिलते हैं तो भी आप सही रास्ते पर हैं. और इसका सबसे बड़ा प्रमाण है, की आप इस ब्लॉग को पढ़ रहे हैं. आज ही अपनी तमाम रुचियों की विवेचना शुरू कर दें. अपनी रुचियों के आधार पर अपने दिमाग को केंद्रित करें. उसके बारे में ज्ञान अर्जित करें, उसी के बारे में सोचें. उसी दिशा में कार्यरत रहें. अनवरत प्रयत्नशील रहें. गिरकर भी संभलते रहें. और लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहें.
निष्कर्ष
इस भांति अर्जुन की तरह, एकाग्र मन से किसी लक्ष्य पर कार्य करने से आपका मार्ग प्रसस्त होगा. रिवॉर्ड भी मिलेगा और मोटिवेट भी होंगे. अतः हर मोटिवेशन की सुरुआत आपके सोच से शुरू होती है. सोच बदलने से अनेक रास्ते खुलते हैं. याद रखें – जब तक आप स्वयं अंतर्मन से उत्साहित नहीं होना चाहेंगे, कोई मोटिवेशनल लीडर आपके अंदर उत्साह नहीं भर सकता. अतः संभावनाओं की तलाश करते रहिये.
( कृपया इस लेख को शेयर करें, जब लोग आत्मचिंतन करते हैं, तब जागरूकता फैलाती है. हमारे इस मिशन का हिस्सा बनें. धन्यवाद !)
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