The art of saying No

आदरपूर्वक सामने वाले से अपनी व्यस्तता हेतु क्षमा मांगकर टाल दें। और हमेशा ऐसा न हो इसका ख्याल रखें।

जब मोटिवेशनल लीडर्स कहते हैं, आपको “नहीं” बोलने की आदत डालनी चाहिए तो इसका मतलब ये नहीं होता कि आप “नहीं” बोलकर अपनी जिम्मेदारियों को टालते रहो। आपको पता होना चाहिए कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं? आपको सारे आवश्यक कामों को छोड़कर उस काम पर फोकस करना चाहिए जो अत्यावश्यक है। किसी ने कहा है “Choose Great over Good” अर्थात ढेर सारे अच्छे कामों में वह काम पहले करो जो सबसे अच्छा यानी महान कार्य हो। लेकिन यह इतना भी आसान नहीं है। इसके लिए हमें जानना होगा The art of saying No है क्या?

एक उदाहरण लेते हैं जब आप ऑफिस से लौटते हैं, आपको अचानक पता चलता है कि आपके दोस्त ने बर्थडे का इनविटेशन भेजा है, बच्चों को कपड़े लेने जाना था, NGO का मीटिंग जॉइन करना था, मां को शॉपिंग के लिए लेकर जाना है और यदि ऑफिस का असाइनमेंट नहीं कम्पलीट किया तो कल की मीटिंग में आप कुछ नहीं बोल पाएंगे। बॉस ने यह जिम्मेदारी आपको कुछ सोच समझकर दिया है। दुर्भाग्यवश आप टाइम को नहीं बढ़ा सकते। अब आप क्या करेंगे? कितने लोग अपना फ़ोन स्विच ऑफ करना पसंद करेंगे, कितने लोग बेडरूम में मुंह छुपाकर बैठ जाएंगे और उसी डिप्रेसन में मीटिंग की तैयारी में लग जाएंगे और यह काम भी ठीक से नहीं कर पाएंगे। कुछ लोग माँ को, बच्चों को, दोस्तों को या समाज को चुनेंगे काम के दिन बीमार हो जाएंगे। 

The art of saying No

जब हम उपर्युक्त उलझन में पड़ जाते हैं तो हमें पहले माँ और बच्चों को अपनी परेशानी बताकर उसके लिए अगला दिन निर्धारित कर लेना चाहिए। याद रहे, यदि अगले दिन भी इस प्रकार की कोई ज़िम्मेदारी, ऑफिस द्वारा प्राप्त हुई तो बॉस को अपनी व्यस्तता से अवगत कराएं और क्षमा मांग लें। हर दिन अपना काम घर पर लाना ठीक नहीं होता। जब आपके ऊपर ज़रूरत से ज्यादा वर्कलोड हो तो बॉस को भी ” नहीं” बोलना है। दोस्तों को अपनी मजबूरी बताएं और सॉरी बोल दें। NGO की मीटिंग में नहीं पहुंच सकते किसी व्यस्तता के कारण, यह उनको मैसेज डालें। 

याद रखें सबको मजबूरी बताने अथवा सबसे झूठा बहाना बनाने की कोई आवश्यकता नहीं। भले ही सामने वाला घनिष्ट क्यों न हो। परंतु हर बार मीटिंग टालना और दोस्तों को टालना अपनी जिम्मेदारियों से भागना हुआ। यदि अत्यावश्यक स्थिति में ये सारी आवश्यक ज़िम्मेदारियाँ छोड़ देते हैं तो आप खुदगर्ज़ नहीं। परंतु हमेशा पारिवारिक और सामाजिक ज़िम्मेदारियों के स्थान पर जॉब या बिज़नेस को वरीयता देना ठीक नहीं होता। इसलिए इसका आवश्यक बैलेंस बनाएं।

The art of saying No ये है कि आदरपूर्वक सामने वाले से अपनी व्यस्तता हेतु क्षमा मांगकर टाल दें। और हमेशा ऐसा न हो इसका ख्याल रखें। यह तरीका अपने परिवार, रिस्तेदार, सहकर्मी, बॉस, मित्र, परिचित इत्यादि के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं, परंतु यह कला आपको केवल इसी दायरे तक सीमित रहना नहीं सिखाती। आपके दिनचर्या में ऐसे अनेक काम हैं जो आप करते चले जाते हैं, सोचकर अथवा बिना सोचे कि यह कार्य आवश्यक है अथवा नहीं। इन्हें दूसरे शब्दों में डिस्ट्रैक्शन यानि ध्यान भटकाने वाली कहेंगे। जैसे:- Digital Distraction, Hobby or Passion, Procrastination etc.

Digital Distraction

हम काम करते समय, उससे पहले या बीच-बीच में ईमेल, सोशल मीडिया, फ़ोन नोटिफिकेशन इत्यादि चेक करते रहते हैं। यदि यह परम आवश्यक हो तो कोई बात नहीं परंतु अधिकतर यह अनावश्यक होता है। इन सब कार्यों के लिए उचित समय निर्धारित करना चाहिए। इतना ही नहीं, ये सारे काम जितने कम समय मे सम्पन्न हो उतना बेहतर। 

रामायण में बाली की कहानी आती है, जो सामने वाले का आधा बल खींच लेता था। सोशल मीडिया तो इस युग का वह बाली है जो लोगों की ताकत ही नही, बल्कि समय, बुद्धिमत्ता, निर्णय क्षमता और ऐसी कई उपयोगिताएं छीन लेता है। यदि आप इसका इस्तेमाल आवश्यक उद्देश्य से भी अधिक समय तक करते हैं तो आपको अपने समय का उचित दाम नहीं मिलेगा। इसलिए आपको पता होना चाहिए कि कब इसे चालू करना है और कब “नहीं” बोलकर बंद कर देना है। याद रहे आवश्यकता पड़ने पर लोग आपको फ़ोन कर सकते हैं उनका whatsapp चेक करना जरूरी नहीं। 1 घंटे की चैटिंग को 10 मिनट की बात में समेटा जा सकता है।

Hobby or Passion

यदि आपको संगीत, खेल, लिखना, पढ़ना इत्यादि में रुचि है, तो यह आपको ऊर्जा देता है और आपके लिए आवश्यक भी है। कुछ विचारक तो यहां तक कहते हैं कि इसके लिए जितना समय निकाल सकें बेहतर है। परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जो उद्यम हमारे घर का खर्च देखने में सहायक है वह अत्यंत आवश्यक है। इसके बाद हमें परिवार, समाज, मित्र इत्यादि को भी समय देना होता है। अब आप सोच रहे होंगे, फिर तो हमारे पैशन के लिए समय ही नहीं बचेगा। तो आप गलत सोच रहे हैं। हमें Time Management और The art of saying No का अभ्यास करना चाहिए। याद रखें Choose great over good. 

अपनी हॉबी या पैशन के लिए अपने काम के उपरांत समय निर्धारित करें। डेली या साप्ताहिक रूप से। जब आप परिवार में हो, आपको पूरा ध्यान उन पर केंद्रीत रखना चाहिए। और जब अपना पैशन फॉलो कर रहे हो तो फोकस उसी पर हो। भले ही दोनों कार्यों को करने हेतु केवल 20-20 मिनट का ही समय क्यों न हो।

Procrastination

आप हर किसी को “नहीं” बोल सकते हैं, परंतु खुद को नहीं बोलना मुश्किल होता है, चाहे बात सोशल मीडिया की हो, बुरी आदतों की हो या काम टालने (Procrastination) की हो। काम को टालने से काम खतम नहीं होता। बल्कि बोझ बढ़ता ही जाता है। लेखिका Mel Robbins कहती हैं हमारा दिमाग हमें प्रोटेक्ट करने के लिए बना है। जब हम कोई कार्य करना चाहते हैं, वह हमें सारी जद्दोजहद से बचाना चाहता है और हम अपने कंफर्ट ज़ोन में पड़े रहकर काम को टालते रहते हैं। इसलिए उन्होंने 5 Second का फार्मूला दिया। इसके मुताबिक आपको आवश्यक काम को शुरू करने के लिए 5 सेकंड से अधिक समय नहीं लेना चाहिए। काम को टालने की आदत छोड़ने के लिए यह फार्मूला सर्वोत्तम है। बस खुद से बोलो “नहीं यह सही नहीं” और 5 तक गिनो तथा काम शुरू कर दो। 

तो आशा है उपर्युक्त लेख आपके निर्णय क्षमता को प्रभावित करेगा और आप अधिक ऊर्जा तथा प्रोडक्टिविटी का अनुभव करेंगे। The art of saying No पर आपका क्या अनुभव है? कमेंट में शेयर करें। धन्यवाद!

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